यूपी बजट में कृषि और व्यापार के लिए एक्सपर्ट्स का खास रोडमैप: फ्री बिजली की मांग!

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20 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार का बजट प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें अनुमानित बजट आकार लगभग 8.50 लाख करोड़ रुपये रहने की आशा व्यक्त की जा रही है। बजट किसी भी सरकार की आर्थिक नीतियों का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है, जो यह दर्शाता है कि वह विकास के मार्ग पर कितनी तेजी से आगे बढ़ना चाहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले दो वर्षों में 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने के लिए बजट में कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और पूंजी संरचना जैसे तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

बजट निर्माण की प्रक्रिया अनुमानित रूप से चार महीने पहले शुरू होती है। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन के अनुसार, इस प्रक्रिया के अंतर्गत वित्त विभाग विभिन्न विभागों से प्रस्ताव मांगता है। इस दौरान विभाग अपने पिछले बजट का विश्लेषण करते हैं, जिसमें पिछले साल के बजट का अनुमान, संशोधित अनुमान और अगले वर्ष का बजट अनुमान शामिल होता है। इसके पीछे एक स्पष्ट लक्ष्य होता है: संसाधनों का मूल्यांकन करना और उन्हें समग्र विकास के लिए श्रमसाध्य तरीके से आवंटित करना। वित्तीय जिम्मेदारियों का ध्यान रखते हुए, बजट के आवंटन में क्षेत्रों के प्राथमिकताओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।

उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र लगभग 46% आबादी के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है, लेकिन कृषि पर सरकारी खर्च़ बजट का एक मामूली हिस्सा बनता है। किसान नेता हरनाम सिंह वर्मा यह कहते हैं कि किसान इस प्रदेश और देश की रीढ़ हैं, और अगर कृषि को उचित समर्थन नहीं मिला, तो प्रदेश की समृद्धि पर प्रश्नचिह्न लगेगा।

बिजली क्षेत्र के संदर्भ में प्राइवेट हाथों में बिजली वितरण का प्रस्ताव है, लेकिन यह चिंताजनक है कि यूपी में बिजली की औसत खपत देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे कम है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के अनुसार, सही मापदंडों और सरकारी सहायता के बिना बिजली क्षेत्र का सुधार संभव नहीं है।

व्यापारी समुदाय भी राज्य के बजट से अपेक्षाएँ रखता है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा का कहना है कि अगर व्यापारियों को प्रोत्साहित नहीं किया गया तो उनका व्यवसाय दूसरे राज्यों की ओर स्थानांतरित हो जाएगा, जिससे राज्य सरकार की राजस्व में कमी आएगी। ई-कॉमर्स के उदय के कारण व्यापारियों के सामने नई चुनौतियाँ हैं। व्यापारी चाहते हैं कि सरकार जीएसटी और अन्य करों को सरल बनाने के लिए ठोस कदम उठाए।

महिलाएँ और युवा भी बजट से महत्वपूर्ण उम्मीदें रखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि उन्हें उद्यमिता का अवसर मिले। वहीं, अपर्णा मिश्रा का मानना है कि महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि उनका आर्थिक विकास प्रदेश के समग्र विकास में योगदान कर सके।

इस प्रकार, आगामी बजट में विभिन्न विभागों, समुदायों और क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए समावेशी और विकासोन्मुखी नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है, ताकि सभी वर्गों का उत्थान संभव हो सके।