कांग्रेस ने आर्थिक असमानता को लेकर सरकार की आलोचना की, ग्रामीण आय बढ़ाने का आह्वान किया
नई दिल्ली, 28 फ़रवरी (हि.स.)। कांग्रेस ने भारत के कम उपभोग व्यय और बढ़ती आर्थिक असमानता पर चिंता जताते हुए नीति निर्माण में परिवर्तन किए जाने का आग्रह किया है। पार्टी ने इस बात पर जोर दिया है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए ग्रामीण आय को पुनर्जीवित करना पहला कदम होना चाहिए। मसलन, मनरेगा मजदूरी में ऐसी वृद्धि हो जो मुद्रास्फीति को मात दे सके।
भारत के आर्थिक परिदृश्य और स्टार्टअप इकोसिस्टम के व्यापक विश्लेषण, वेंचर कैपिटल फर्म ब्लूम वेंचर्स द्वारा सिंधु घाटी वार्षिक रिपोर्ट 2025 का हवाला देते हुए कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक वक्तव्य में देश के उपभोग रुझानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय केवल 1,493 अमेरिकी डॉलर है, जो चीन के एक तिहाई से भी कम है। भारत में कई प्रमुख जीवनशैली वस्तुओं (जैसे- दोपहिया वाहन, एयर कंडीशनर, जूते और एफएमसीजी आदि) की खपत चिंताजनक रूप से कम है। वैश्विक एसी बिक्री में भारत की हिस्सेदारी केवल 7% है, जबकि चीन 55% के साथ सबसे आगे है।
उन्होंने कहा कि भारत में ‘उपभोक्ता वर्ग’ केवल 3 करोड़ परिवारों तक सीमित है, जो देश की कुल जनसंख्या का मात्र 10% हैं और जो बड़े पैमाने पर वस्तुएं और सेवाएं खरीदने की क्षमता रखते हैं। यह ‘उपभोक्ता वर्ग’ लगभग 7 करोड़ परिवारों के ‘आकांक्षी वर्ग’ द्वारा समर्थित है, जिसकी खरीदने की क्षमता सीमित है। लगभग 20.5 करोड़ परिवारों यानी एक अरब लोग ऐसे हैं, जिनकी आय इतनी सीमित है कि वे वैकल्पिक उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च नहीं कर सकते।
कांग्रेस नेता ने कहा कि चिंताजनक बात यह है कि उपभोक्ता वर्ग का विस्तार नहीं हो रहा है। प्रमुख संकेतक जैसे हवाई यात्री यातायात और दोपहिया वाहन बिक्री की मात्रा स्थिरता दर्शा रही है। भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से उपभोक्ता वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ने से आ रही है। मिसाल के तौर पर कार बिक्री में एसयूवी का हिस्सा वित्त वर्ष 2019 में 23% था, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 50% हो गया। हाल के वर्षों में लगभग हर डेटा स्रोत ने एक ही सच्चाई की पुष्टि की है कि भारत में असमानता बढ़ रही है और भारत का विकास केवल इसके सबसे अमीर लोगों से आ रहा है।
————