धर्म संसद से पहले सनातन बोर्ड की मांग पर बंटा संत समाज
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बीते दिनों पत्रकार वार्ता करके की थी सनातन बोर्ड के गठन की मांग
महाकुम्भनगर,25 जनवरी (हि.स.)।
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर द्वारा सनातन बोर्ड के गठन लेकर शुरू की गयी मुहिम को महाकुम्भ में झटका लगता दिख रहा है। महाकुम्भ में आये संत इस मुद्दे पर एकमत नहीं हैं। 27 जनवरी को आयोजित धर्म संसद से पहले ही सनातन बोर्ड के गठन की मांग पर संतों के अलग—अलग बयान सामने आये हैं। कई शंकराचार्य, महामण्डलेश्वर व संतों ने कहा है कि भारत में सनातन बोर्ड की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे धार्मिक स्थलों पर एकाधिकार बढ़ेगा।
काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन बोर्ड की कोई आवश्यकता नहीं है। मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए। शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द देवतीर्थ ने कहा है कि भारत में न वक्फ बोर्ड की जरूरत है और न सनातन बोर्ड की। बोर्ड तो एक सरकारी व्यवस्था हो गयी। शंकराचार्य ने कहा कि वक्फ बोर्ड इस्लाम की पुष्टि के लिए है। इस्लाम कुछ सौ सालों से है हम उनके कम्पटीटर नहीं बन सकते, क्योंकि हमारी सार्वभौमिक सम्प्रभुता बहुत पहले से बहुत व्यापक है। आकाश पाताल सब जगह है। सनातन से इस्लाम की तुलना नहीं हो सकती है। श्री शारदा सर्वज्ञपीठाधीश्वर अभिनवशंकर स्वामी ने कहा कि अहम प्रश्न यह है कि सनातन बोर्ड जो बनेगा, उस पर किसका नियंत्रण होगा। सनातन बोर्ड ही अपने आप में मेंढ़क तौलने वाली स्थिति है। अगर सारी चीजें बोर्ड कंट्रोल करने लगेगा तो सब लोगों को डिस्टर्ब (परेशान) करेगा। व्यक्तिगत तौर पर मैं यह मानकर चलता हूं कि बोर्ड से ज्यादा हित नहीं होने वाला। बोर्ड राजनीति का केंद्र बन जाएगा और वही होगा जो तिरूपति में हुआ।
श्री प्रखर परोपकार मिशन ट्रस्ट के संस्थापक महामण्डलेश्वर स्वामी प्रखर महाराज ने कहा कि वर्तमान में जो स्थिति है, उसमें एक नये बोर्ड को जन्म देना एक और नये विवाद का जन्म देना होगा। मेरी दृष्टि से सनातन बोर्ड की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि आप सनातन बोर्ड बना रहे हो तो इसका मतलब बोर्ड खोलने को आप प्रोत्साहित कर रहे हो। वक्फ के कार्य इतने खतरनाक हैं कि कल मेरा घर भी वक्फ बोर्ड का होगा। इसलिए हम चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड भी न रहे। शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा है कि कुछ लोग सनातन बोर्ड गठित करने की मांग कर रहे हैं। यह बेतुकी बात है। इससे सीमित लोगों का देश के धर्म स्थलों पर एकाधिकार हो जायेगा। विश्व हिन्दू परिषद के संगठन मंत्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि अब तक सनातन बोर्ड की स्पष्टता किसी ने की नहीं है। जब सनातन बोर्ड कहते हैं तो उसका स्वरूप और प्रारूप क्या है जब तक स्पष्ट नहीं होगा तब तक उसके बारे में मत व्यक्त करना ठीक नहीं होगा।
—————