मशावरत की ओर से एक पत्रकार वार्ता में कहा गया है कि देश में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति, अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने और असम में अल्पसंख्यकों के विस्थापन और देश के विभिन्न भागों में बंगाली भाषी लोगों को निशाना बनाने, वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के प्रतिकूल प्रभाव, मालेगांव बम विस्फोटों के सभी आरोपियों की रिहाई, मालेगांव और मुंबई ट्रेन विस्फोटों के निर्णयों के प्रति महाराष्ट्र सरकार का दोहरा रवैया और देश के कमज़ोर समुदायों के सामने आने वाली अन्य चुनौतियें पर गंभीर चिंता प्रकट की और इन्हें देश के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ढांचे के लिए गंभीर खतरा है।
अपने स्थापना दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में मुशावरत ने न्याय, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए संघर्ष जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि वह देश भर में लगातार हो रही इन घटनाओं को न्याय, लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर हमला मानती है और हर स्तर पर कानूनी, राजनीतिक और नैतिक प्रतिरोध का संकल्प लेती है।
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत ने, गाजा, पश्चिमी तट और अन्य क्षेत्रों में, इजरायल सरकार की कार्रवाई को युद्ध अपराध करार दिया और इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून, नैतिकता और मानवीय गरिमा का घोर उल्लंघन बताया। साथ ही, वह विश्व समुदाय से इजरायल के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करने और फलस्तीनियों के साथ खड़े होने की अपील की। विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुशावररत जल्द ही दिल्ली में एक अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित करेगी। इस अवसर पर ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के महासचिव अहमद जावेद, केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंजीनियर सिकंदर हयात और प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. इदरीस कुरैशी उपस्थित थे।
हिंदुस्थान समाचार / अब्दुल वाहिद