देश की आजादी के बाद आज भी हमारी संस्कृति पर हो रहे हमले :गणेश केसरवानी
-ब्रह्माकुमारी स्वर्णिम भारत ज्ञान कुम्भ का समापन
महाकुम्भ नगर, 16 फरवरी (हि.स.)। देश की आजादी के बाद कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज भी हमारी संस्कृति पर हमले हो रहे हैं। हमें अपने देश की संस्कृति को बचाना है। भारत भूमि समरसता की सहिष्णुता की भूमि है और प्रयाग के इस महाकुम्भ ने इसकी सजीवता को प्रदर्शित किया। ऐसे में ब्रह्माकुमारीज जैसी संस्था आगे आ रही है जो सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रही हैं और भारत के इन विचारों को विश्व तक फैला रही हैं।
उक्त विचार महापौर गणेश केसरवानी ने महाकुम्भ मेला, सेक्टर 7 में स्थित ब्रह्माकुमारी स्वर्णिम भारत ज्ञान कुम्भ मेले में व्यक्त किए। उन्होंने ‘हमारी संस्कृति हमारी पहचान’ विषय पर आयोजित समापन समारोह में कहा कि भारत की सनातन संस्कृति, सिर्फ स्वयं कल्याण के लिए नहीं है, बल्कि पूरे विश्व कल्याण के लिए है। उन्होंने सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि आप सभी का निःस्वार्थ कार्य प्रशंसनीय है।
स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ की संचालिका ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने कहा मेला प्रशासन ने हम सभी की बहुत मदद की। सिविल डिफेंस के भाई बहनों की भी उन्होंने तारीफ करते हुए कहा हमारी भारतीय संस्कृति है सम्मान देने की, गिरते हुए को उठाने की। सच पूछो तो यही हमारी पहचान है। प्राचीन काल से ही हमारे संगठन की जो परंपराएं थी हम सभी उसी का निर्वहन करने को अपना धर्म मानते हैं और आज समाज में भी उन संस्कारों को पुनर्जागृत करने की कोशिश कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ जोन की इंचार्ज ब्रह्माकुमारी हेमलता ने कहा इस कुंभ से भारतीय संस्कृति के एक नए अध्याय का सूत्रपात हो रहा है। हमने भौतिक विकास तो बहुत किया, परंतु जो हमारी आध्यात्मिक संस्कृति रही है अब उसका प्रभाव सारे विश्व पर बहुत तीव्र गति से फैलेगा।
ब्रह्माकुमारीज माउंटआबू के ग्लोबल हॉस्पिटल की ब्रह्माकुमारी डॉ. बिन्नी सरीन ने कहां कि कुंभ के वातावरण में अध्यात्म का विशेष अनुभव उन्होंने किया। सिविल डिफेंस वार्डन चीफ अनिल कुमार ने कहा कि मां गंगा की पावन भूमि पर ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा यह जो ज्ञान कुंभ मंडप लगाया गया है, वह निश्चित रूप से सराहनीय है। चैतन्य देवियों की झांकी अद्वितिय रही तथा लाइव मॉडलों के द्वारा जो शिक्षाएं लोगों को दी गई, यह जरूर उनके मानस पटल पर लंबे समय तक बनी रहेंगी। इस अवसर पर जन कवि प्रकाश ने अपनी रचनाएं सुनाकर सभी को प्रयागराज के साहित्य का परिचय कराया।
उल्लेखनीय है कि, 10 जनवरी से शुरू होकर ब्रह्माकुमारीज का ज्ञान कुंभ मेला 16 फरवरी को समापन समारोह के साथ सम्पूर्ण हुआ। अतिथियों ने इस दौरान ब्रह्माकुमारीज के भाई बहनों द्वारा की गई सेवाओं के लिए सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित किया। उज्जैन से आई ब्रह्माकुमारी उषा ने कहा कि उज्जैन में होने वाले महाकुम्भ के लिए भी प्रयागराज का महाकुम्भ एक प्रेरणा स्त्रोत है। अंत में प्रियंवदा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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