भारत में हमेशा परस्पर सौहार्द व सदभाव रहा : स्वान्त रंजन

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भारत में हमेशा परस्पर सौहार्द व सदभाव रहा : स्वान्त रंजन

भारत के बाहर के मत पंथों में प्रश्न पूछने की गुंजाइश नहीं

लखनऊ,09 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि भारत में हमेशा परस्पर सौहार्द व सदभाव रहा है। सद्भाव और सौहार्द के लिए सभी मत को स्वीकार करना होगा। उन्होंने सामाजिक सद्भाव को आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताते हुए समाज को सशक्त बनाने की दिशा में एकजुट होने का आह्वान किया। उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान और सामाजिक सद्भाव, लखनऊ महानगर के संयुक्त तत्वावधान में आज ‘अहिंसामयी जीवन का आधार, परस्पर सद्भाव और सौहार्द’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन रविवार को अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के प्रेक्षागृह में किया गया।

परिचर्चा को संबोधित करते हुए स्वांत रंजन ने कहा कि धर्म व समाज को बचाना है तो सबको धर्म का आचरण व पालन करना होगा। सत्य अहिंसा व ईमानदारी का आचरण करने से ही धर्म बढ़ता है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी अपने विचारों को बंद नहीं किया। हमने बाहर के विचारों को अपने देश की प्रकृति व संस्कृति के अनुरूप स्वीकार किया।

अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख ने कहा कि भारत के अंदर जन्मे सभी मत पंथ व सम्प्रदायों में प्रश्न पूछने का अधिकार है, जबकि भारत के बाहर जन्मे मत पंथोंं में प्रश्न पूछने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि हम लोग अंधानुयायी नहीं हैं। परस्पर मिलन व विचारों का आदान-प्रदान होते रहना चाहिए। हम सब मिलकर परम सत्य को जानने व समझने का प्रयत्न करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जैन शोध संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष प्रो. अभय जैन ने महावीर स्वामी की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए परस्पर सौहार्द और सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। अंत में उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान के निदेशक अमित कुमार अग्निहोत्री ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अवध प्रांत के सामाजिक सद्भाव प्रमुख राजेंद्र ने किया।

इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक अशोक केड़िया, कार्यक्रम के संयोजक सुशील जैन,सह संयोजक अनुराग श्रीवास्तव,सामाजिक समरसता विभाग के प्रान्त प्रमुख राजकिशोर,प्रान्त ​के विशेष सम्पर्क प्रमुख प्रशान्त भाटिया,बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी,नानक चंद लखमानी,सह भाग कार्यवाह सिद्धार्थ प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।