दिल्ली में विधानसभा चुनाव से 25 दिन पहले एक बड़ा मुद्दा सामने आया है, जो आर्थिक मामलों से जुड़ा है। यह मामला दिल्ली सरकार की शराब नीति से संबंधित है, जिस पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट लीक हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार को इस नीति के कारण 2026 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है।
इस मामले में यह आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार ने शराब नीति में कई गड़बड़ियां की हैं, जिनमें लाइसेंस देने में भी खामियां शामिल हैं। इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को कथित तौर पर घूस के जरिए फायदा पहुंचाया गया है। सीएजी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री जिस मंत्री समूह का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने विशेषज्ञ पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, कई शिकायतों के बावजूद, सभी को नीलामी में भाग लेने की अनुमति दे दी गई थी, और जिन लोगों को घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दिए गए या उनके लाइसेंस को नवीनीकृत किया गया था। यह रिपोर्ट जल्द ही दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत की जाएगी।
दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी, लेकिन इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल उठाए गए थे। इस नीति को बाद में वापस लेना पड़ा था। इस पूरे मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे, और दोनों को जेल भी जाना पड़ा था। फिलहाल, वे जमानत पर बाहर हैं।
इस सीएजी रिपोर्ट पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ नेता इसे दिल्ली सरकार की विफलता के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक阴谋 का हिस्सा मान रहे हैं। यह मामला दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।
इस बीच, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शराब नीति मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी थी। यह मामला अब एक新的 मोड़ पर पहुंच गया है, और इसके परिणाम दिल्ली की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।