डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबरों की समस्या का तीन महीने में करेंगे समाधानः चुनाव आयोग
नई दिल्ली, 7 मार्च (हि.स.)। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि वह दशकों पुरानी डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समस्या को तीन महीने में हल कर लेगा। चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि भारत के चुनावी रजिस्टर दुनिया का सबसे बड़ा मतदाता डेटाबेस है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं।
बयान में कहा गया है कि चुनाव आयोग मतदाता सूचियों को अपडेट के लिए हर साल वार्षिक विशेष सारांश संशोधन (एसएसआर) अभ्यास आयोजित करता है, जो हर साल अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के दौरान होता है और अगले महीने जनवरी में अंतिम रोल प्रकाशित किए जाते हैं। चुनाव वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए चुनाव से पहले एसएसआर भी आयोजित किया जाता है। हाल ही में संपन्न एसएसआर 2025 के लिए 07 अगस्त, 2024 को अनुसूची जारी की गई थी और अंतिम रोल 06-10 जनवरी, 2025 के दौरान प्रकाशित किए गए थे।
आयोग ने इसकी पारदर्शी प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि प्रत्येक बूथ पर राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी द्वारा एक बूथ स्तरीय अधिकारी नियुक्त किया जाता है। प्रत्येक बूथ पर राजनीतिक दलों को बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने का भी अधिकार है। सभी बीएलए को संबंधित बूथ की मतदाता सूची को सत्यापित करने और विसंगति होने पर शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। घर-घर जाकर क्षेत्र सत्यापन करने के बाद संबंधित बीएलओ संबंधित ईआरओ को सिफारिशें प्रस्तुत करता है।
उपरोक्त तथ्यों को संज्ञान में लेने के बाद ईआरओ मतदाता सूची के अद्यतनीकरण के लिए प्रत्येक मतदाता के विवरण का सत्यापन करता है। तैयार किए गए ड्राफ्ट मतदाता सूची को वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है और राजनीतिक दलों और जनता को भी उपलब्ध कराया जाता है। ड्राफ्ट मतदाता सूची के सत्यापन और एक महीने की अवधि के दौरान प्राप्त किसी भी दावे और आपत्तियों के निपटारे के बाद ही अंतिम सूची प्रकाशित की जाती है। यदि किसी व्यक्ति को कोई आपत्ति है, तो उसके पास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 24(ए) के तहत डीएम/जिला कलेक्टर/कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रथम अपील दायर करने का विकल्प है। उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस ने कई राज्यों में डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबरों का मुद्दा उठाया और चुनाव आयोग पर कवर-अप का आरोप भी लगाया था।
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