कालागढ़ में वन और सिंचाई भूमि से सैकड़ों परिवारों को हटाने के मामले में हुई सुनवाई
नैनीताल, 18 मार्च (हि.स.)। हाई कोर्ट ने कालागढ़ डैम के समीप वन विभाग व सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से रह रहे परिवारों को हटाए जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को 21 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।पूर्व के आदेश पर डीएम आशीष चौहान ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया था कि वहां पर तीन तरह के लोग निवास कर रह रहे हैं जिसमें कुछ कर्मचारी अभी कार्य कर रहे हैं, कुछ रिटायर कर्मचारी और उनके परिजन तथा अन्य मजदूर, दुकानदार, ठेकेदार व माल सप्लायर हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इनको विस्थापित करने के लिए उनके द्वारा अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। यही नहीं यहां पर उप्र सरकार की भूमि भी है। उनसे भी अनुमति लेनी आवश्यक है। इस पर कोर्ट ने उत्तराखंड और उप्र सरकार के अधिकारियों को वीसी के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि तत्कालीन उप्र सरकार ने 1960 में कालागढ़ डैम बनाए जाने के लिए वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करके सिंचाई विभाग को दी थी। साथ ही कहा कि जो भूमि डैम बनाने के बाद बचेगी उसे वन विभाग को वापस किया जाएगा। डैम बनने के बाद कई हेक्टेयर भूमि वापस की गई, लेकिन शेष बची भूमि पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों व अन्य लोगों ने कब्जा कर लिया। अब राज्य सरकार 213 लोगों को विस्थापित कर रही है जबकि वे भी दशकों से उसी स्थान पर रह रहे हैं। उनको भी अन्य की तरह विस्थापित किया जाए।
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