हिमाचल प्रदेश के मंडी से भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनोट ने आज (14 फरवरी) वैलेंटाइन डे के खास मौके पर अपने नए कैफे ‘द माउंटेन स्टोरी’ का उद्घाटन किया है। इस अवसर पर, कंगना ने पहले कार्तिक स्वामी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। मनाली के प्रीणी में स्थित इस कैफे में ग्राहकों को वेज और नॉनवेज, दोनों तरह के स्वादिष्ट खाने का आनंद लेने का मौका मिलेगा। वेज थाली की कीमत 600 रुपए और नॉनवेज थाली की 800 रुपए रखी गई है। खास बात यह है कि थाली समाप्त करने के बाद अगर ग्राहक और खाना मांगते हैं, तो उन्हें इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा, जिससे ये अनुभव बफे की तरह भरपेट खाने का रहेगा।
इस कैफे की शुरुआत के दौरान कंगना के माता-पिता, अमरदीप रनोट और आशा रनोट, भी उनके साथ होंगे। इसके अलावा, इस अवसर पर गांव के बुजुर्गों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित करके उनका सम्मान किया जाएगा, और उन्हें कैफे में भोजन कराने का भी आयोजन होगा। इस तरह, कंगना ने एक्टिंग, डायरेक्शन और राजनीति के क्षेत्र में सफल होने के बाद अब बिजनेस की दुनिया में कदम रखा है।
कंगना के कैफे की दो विशेषताएँ हैं। पहली, इसे पारंपरिक पहाड़ी शैली में तैयार किया गया है, और कैफे का स्टाफ भी हिमाचली वेशभूषा में नजर आएगा। इसके इंटरियर्स से लेकर बाहरी हिस्से तक, पर्वतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। दूसरी खास बात यह है कि यहां हिमाचल के पारंपरिक व्यंजन जैसे सिड्डू, लाहौल के मार्चू, गीचे, और कुल्लवी जैसे व्यंजन भी परोसे जाएंगे, जिससे स्थानीय खाद्य संस्कृति का प्रचार-प्रसार होगा।
हाल ही में, कंगना ने अपने कैफे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें वह बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच चलकर कैफे में प्रवेश कर रही हैं। इस वीडियो में कैफे के स्टाफ द्वारा उनका स्वागत किया जा रहा है, और उनका पहनावा पारंपरिक हिमाचली टोपी में है। कैफे के अंदर, लकड़ी के फर्नीचर, राजसी लाइट्स, और चूल्हा जैसी चीजें दिख रही हैं। कंगना ने कहा कि ‘द माउंटेन स्टोरी’ उनके बचपन की यादों और उनकी माँ द्वारा पकाए गए स्वादिष्ट भोजन से प्रेरित है।
कंगना रनोट मूल रूप से मंडी जिले के सरकाघाट क्षेत्र के भांबला गांव की निवासी हैं, लेकिन उन्होंने मनाली में अपने लिए एक घर बना लिया है। उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, कंगना मनाली में एक होटल भी खोलने का इरादा रखती हैं, जिसके लिए उन्होंने पहले ही जमीन खरीदी है। इस प्रकार, कंगना का व्यवसायीकरण केवल उनके लिए एक नया अनुभव नहीं है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और खाद्य परंपराओं को बढ़ावा देने का एक प्रयास भी है।