श्रीराम कथा रूपी सरोवर में गोता लगाने से नष्ट हो जाते है जनमान्तर के पाप: स्वामी प्रखर महाराज
महाकुम्भ नगर, 17 जनवरी (हि.स.)। भगवान श्रीराम की कथा रूपी सरोवर में जो भी भक्त गोता लगाता है, उसके जन्म-जनमान्तर के भी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह बातें शुक्रवार को महाकुम्भ क्षेत्र के सेक्टर—19 गंगोली शिवाला मार्ग पर संचालित श्री प्रखर परोपकार मिशन अस्पताल परिसर में श्रीराम कथा आरम्भ करते हुए परम पूज्य गुरुदेव अनन्तश्री विभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज ने कही। इसके अलावा शिविर के ज्ञानालय में भी माघ माहात्म्य कथा का आयोजन किया गया।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम जी के जीवन चरित्र पर आधारित श्रीराम कथा की इतनी महिमा है कि वर्षों तक भी उसका गुणगान किया जाए, फिर भी उसको व्यक्त नहीं किया जा सकता है। भगवान श्रीराम जी की कथा जो भी श्रवण करता है एवं जो श्रवण कराता है, उसका मंगल सुनिश्चित है। भगवान श्रीराम की कथा रूपी सरोवर में जो भी भक्त गोता लगाता है, उसके जन्म-जनमान्तर के भी पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने सरल शब्दों में उपस्थित श्रेताओं को समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार से किसी नदी को पार करने के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग कर पुल बनाया जाता है और उस पुल से एक चीटी भी नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे पर पहुँच जाती है। ठीक उसी प्रकार से मेरे द्वारा भी आप लोगों को श्रीराम कथा के माध्यम से भवसागर पार करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रयाग में तिल का दान सर्वोत्तम व पाप को नष्ट करने वालाः दिव्य स्वरूप ब्रह्मचारी
शिविर के ज्ञानालय (कथा मण्डप) में काशी के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत मीमांशा विभाग के प्रोफेसर डाॅ. दिव्य स्वरूप ब्रह्मचारी ने ‘माघ माहात्म्य कथा’ का श्रवण कराते हुए कहा कि प्रयागराज में माघ के महीने में सारे तीर्थ अपने परिकरों सहित तीर्थराज प्रयाग में विराज जाते हैं। तीर्थराज प्रयाग में चल व अचल दोनों तीर्थ, माघ के महीने में विराजते हैं, जिनमें चल तीर्थ साधु-सन्यासी हैं, जिनके दर्शन चलते-फिरते भी प्राप्त कर सकते हैं । अचल तीर्थ वे हैं, जो तीर्थराज में मन्दिरों में विराजमान हैं। कल्पवासियों को दोनों तीर्थों के दर्शन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीर्थराज प्रयाग में सर्वप्रथम सूर्योदय से पूर्व त्रिवेणी स्नान, तीर्थ दर्शन तथा दान भी करना चाहिए। दान की विधि को समझाते हुए उन्होंने कहा कि प्रयाग में तिल का दान सर्वोत्तम है एवं वह गुड़ से युक्त हो । अर्थात् गुड़ के साथ तिल का दान करना चाहिए, क्योंकि सभी धान्यों में तिल ही सर्वश्रेष्ठ है तथा पाप को नष्ट करने वाला है। उन्होंने कहा कि तिल का दान करने से अज्ञान की निवृत्ति एवं ज्ञान की अभिव्यक्ति होती है। उन्होंने छान्दाेग्य उपनिषद के माध्यम से समझाते हुए कहा कि तीर्थराज प्रयाग में ऐसे ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए जो नित्य त्रिकाल सन्ध्या करने वाले हों क्योंकि ऐसे ब्राह्मणों के उदर में जाने वाला आपका दान दिया हुआ द्रव्य समस्त पापों को नष्ट करता है।
पीपीएम के शिविर में एक हजार से अधिक रोगियों का हुआ स्वास्थ्य परामर्श
श्री प्रखर परोपकार मिशन अस्पताल एवं शिविर की प्रवक्ता माँ चिदानन्दमयी ने बताया कि प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं की सेवा कर रहा हैं। इस दौरान स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवा, अस्पताल के माध्यम से तथा प्रसाद (भोजन) सम्बन्धी सेवा, शिविर के मुख्य द्वार के समीप चाय एवं पकौड़ी वितरित कर, कर रहा है। इसके अतिरिक्त प्रातःकाल 9 बजे से प्रतिदिन 150 से अधिक दण्डी सन्यासियों को भी जलपान कराया जाता है।
शिविर में प्रमुख रूप से राजेश अग्रवाल, प्रवीन नेमानी, डाॅ. सज्जन प्रसाद तिवारी, विश्वनाथ कानोडिया, सुषमा अग्रवाल, श्रवण अग्रवाल, रघुनाथ सिंह, विवेक मित्तल, सुशील खेमका, अन्जू बत्रा, अनिल गर्ग, किरन गर्ग, किरन नेमानी, कनिष्क मेहता, वशिष्ठ मेहता, लोकेश लोहिया, ऋचा कानोडिया, रेखा लोहिया, संजय गर्ग, ब्रह्मचारी शिवप्रकाश, ब्रह्मचारी आनन्द प्रकाश, आचार्य बाल कृष्ण जी, नीति तिवारी, शशांक तिवारी, गौरीशंकर भारद्वाज, दिनेश मिश्रा, रोजालिन दास एवं योगेश शर्मा आदि उपस्थित रहे।
—————