राष्ट्र की समृद्धि का आधार सनातन परंपराओं में निहित: आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण
महाकुम्भनगर,10 फरवरी (हि.स.)। सेवाज्ञ संस्थानम् के कुंभ शिविर में भारतीय ज्ञान परंपरा एवं आध्यात्म पर एक विशिष्ट संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर के विद्वानों, संतों और साहित्यकारों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण महाराज ने भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आध्यात्मिक उन्नति और राष्ट्र की समृद्धि का आधार हमारी सनातन परंपराओं में निहित है। उन्होंने भारतीय दर्शन, वेदांत और आध्यात्मिक चेतना के सामाजिक प्रभावों पर गहराई से विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. सर्वेश त्रिपाठी, पूर्व कुलपति, गोवा तकनीकी विश्वविद्यालय, ने की। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा के वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक पक्ष को रेखांकित करते हुए कहा कि “आधुनिक विज्ञान और तकनीक की प्रगति के साथ हमें अपनी जड़ों से जुड़कर ज्ञान को आत्मसात करना होगा।”
इसके बाद कवि सम्मेलन में सुप्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। अंकित काव्यांश, ज्ञान प्रकाश आकुल और माधवेश पाण्डेय ‘चुलबुल’ ने ओजस्वी एवं सरस काव्य पाठ किया। उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक चेतना के विविध रंग दिखाई दिए।
कार्यक्रम के अंत में सेवाज्ञ संस्थानम् के पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी ऐसे आयोजन करते रहने की प्रतिबद्धता जताई।