एकात्मता के सूत्र में बंध जाने से राष्ट्र के उत्कर्ष होते हैं: साध्वी ऋतम्भरा

Spread the love

एकात्मता के सूत्र में बंध जाने से राष्ट्र के उत्कर्ष होते हैं: साध्वी ऋतम्भरा

महाकुम्भनगर,14 जनवरी (हि.स.)। दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा इस दौरान प्रयागराज महाकुंभ में निवास कर रही हैं। मकर संक्रान्ति के अवसर पर ​वह मंगलवार को गंगा जी के तट पर स्नान के लि​ए पहुंची।

साध्वी ऋतम्भरा ने देशवासियों को मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि​ एकात्मता के सूत्र में बंध जाने से राष्ट्र के संगठन के संस्था के परिवार के उत्कर्ष होते हैं। सौमनस्यता आनंद तभी आता है जब आपस में प्रेम व स्नेह हो।

स्नान के बाद उन्होंने कहा कि सदज्ञान की अविरल धारा, जड़ता की परिहार हूँ। मुक्त हाथ से ज्ञान बांटती मैं गंगा की धार हूं । साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि सारे प्रश्नों का उत्तर मां के सानिध्य में ही आकर मिलता है। हमारे जीवन का प्रारम्भ हो या जीवन की अंतिम यात्रा हो अंत के बाद अनंत का बोध कराने वाली भगवती भागीरथी मां गंगा ही है।

आज त्रिवेणी संगम पर बहुत सारे अखाड़ों के नागाओं का संतों का,आचार्यों का,मण्डलेश्वर,महामण्डलेश्वरों, महंत का श्रीमहंतों का जगद्गुरूओं व जगद्गुरूओं का स्नान हो रहा है।

आज पूरा भारत मकर संक्रान्ति का पर्व मना रहा है। मकर संक्रान्ति सामाजिक समरसता का पर्व है।खिचड़ी बांटी जाती है। गुड़ व तिल का दान किया जाता है। बड़ी महिमा है।

हमने भगवती के चरणों में डुबकी लगाई हैं । गंगा माता के चरणों में मैंने भारत का उत्कर्ष मांगा है। जो प्रयागराज नहीं आ पाये हैं वह अपने आंगन में ही मां गंगा का आवाहन कर सकते हैं। क्योंकि जब आप सूक्ष्म रूप से ह्रदय को अर्पित करते हुए आवाहन करते हैं तो वह लोटे में ही समा जाती हैं। क्योंकि यह भाव का जगत है। हम सबके सनातनियों के भाव पवित्र रहें। अपना उत्कर्ष करें। सबको मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं। साध्वी ऋतम्भरा ने मकर संक्रान्ति पर स्नान के बाद ​घाट ​के किनारे बैठे गरीबों में दक्षिणा भी बांटी।

—————