रंगाई-छपाई की 848 इकाइयों की संपत्ति कुर्की करने के आदेश पर रोक
जयपुर, 6 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने सांगानेर की 848 रंगाई-छपाई इकाइयों से निकले अपशिष्टों के प्रबंधन के लिए बनाए सीईटीपी की निर्माण राशि व इससे जुडी करीब 96 करोड रुपए की वसूली के मामले में सांगानेर कपड़ा रंगाई छपाई एसोसिएशन के निदेशकों, पदाधिकारियों व सदस्यों के स्वामित्व वाली संपत्तियों को कुर्क करने के संबंध में कॉमर्शियल कोर्ट के गत 14 फरवरी के आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस अवनीश झिंगन व जस्टिस मनीष शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश गुरुवार को राज्य सरकार की अपील पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि पहले याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई की जाएगी।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कॉमर्शियल कोर्ट एक्ट, 2015 की धारा 13 के तहत अपील दायर कर कहा कि कॉमर्शियल कोर्ट का आदेश पूरी तरह से विधि के प्रावधानों के खिलाफ है। प्रार्थी फर्म अपने व्यावसायिक हितों के लिए कोर्ट के डिक्री आदेशों का क्रियान्वयन करवाना चाहता है। इसके जवाब में दावाकर्ता फर्म मैसर्स एडवेंट एंवायरकेयर टेक्नोलॉजीज ने कहा कि राज्य सरकार की अपील सुनवाई के लिए मेंटेनेबल नहीं है। कॉमर्शियल कोर्ट ने एग्जीक्यूशन की कार्रवाई लंबित रहते हुए आदेश पारित किया है। ऐसे में उसे अपील के जरिए चुनौती नहीं दी जा सकती। जबकि राज्य सरकार का कहना था कि कॉमर्शियल कोर्ट ने जजमेंट दिया है और वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती दे सकती है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनकर कहा कि वह पहले राज्य सरकार की अपील की मेंटेनेबिलीटी को तय करेंगे और तब तक कॉमर्शियल कोर्ट के 14 फरवरी वाले आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगाई जाती है। गौरतलब है कि कॉमर्शियल कोर्ट ने 14 फरवरी को निर्देश दिया था कि दावाकर्ता कंपनी अपनी राशि की रिकवरी के लिए एसकेपीसीए यानि सांगानेर कपडा रंगाई छपाई एसोसिएशन के निदेशकों, पदाधिकारियों व सदस्यों के स्वामित्व वाली संपत्तियों व परिसरों को कुर्क करें और उनमें रखी गई चल-अचल संपत्ति को भी जब्त करें।
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