यूपी में हर नागरिक पर 36 हजार का कर्ज! बजट का आधा हिस्सा कहां जा रहा?

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योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश किया है, जिसका अनुमानित आकार 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ 6 लाख रुपए है। यह पिछले बजट के मुकाबले लगभग 9% अधिक है। हालाँकि, जैसे-जैसे बजट का आकार बढ़ रहा है, राज्य का कर्ज भी तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में औसतन प्रत्येक व्यक्ति पर कर्ज 36 हजार रुपए से अधिक हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि बजट का आधा हिस्सा केवल वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने में खर्च हो रहा है। यह स्थिति सवाल उठाती है कि राज्य सरकार अपनी कमाई कैसे करती है और वह अपने खर्च का प्रबंधन किस प्रकार करती है।

राज्य सरकार की आय का मुख्य स्रोत टैक्स और सेवा शुल्क हैं। इन स्रोतों से प्राप्त होने वाली राशि का अधिकांश भाग सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन तथा कर्ज के ब्याज पर खर्च होता है। जीएसटी के अलावा राज्य सरकार के पास वैल्यू एडेड टैक्स (वैट), एक्साइज ड्यूटी, स्टैंप ड्यूटी, वाहन रजिस्ट्रेशन और खनन आदि से भी आमदनी होती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार पेट्रोल-डीजल पर वैट वसूल करती है, जबकि यह जीएसटी के दायरे में नहीं आता। इसी प्रकार, शराब की बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी और खनन पट्टों की नीलामी से भी राजस्व प्राप्त होता है।

सरकार की आय का एक बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होता है, जो कि कुल आय का 33.4% है। इसके अलावा राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं पर भी खर्च करती है, जिनमें बिजली सब्सिडी, फ्री पंप सिंचाई योजना, दवा की जांच और वृद्ध पेंशन शामिल हैं। इन योजनाओं का वार्षिक खर्च 1.76 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें से अकेले सब्सिडी पर 35 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

इस बजट के तहत, वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार का कर्जा 9 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। सरकार ने इस बजट में 91 हजार करोड़ रुपए और कर्ज लेने की बात कही है, जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2025-26 तक हर व्यक्ति पर औसतन 36 हजार रुपए से अधिक का कर्ज हो सकता है। दिलचस्प बात यह है कि कुल बजट का लगभग 14 प्रतिशत यानी 1.15 लाख करोड़ रुपए कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च होगा।

अर्थशास्त्री अरविंद मोहन के अनुसार, राज्य सरकार की आय मुख्यतः जीएसटी, आबकारी और वाहनों की बिक्री से होती है। इसके अतिरिक्त, बजट का लगभग 20% हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए आवंटित किया जा रहा है। यह विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, योगी सरकार ने हाल ही में अपने बजट में मत्स्य और कृषि क्षेत्रों में भी विशेष ध्यान देने के लिए कई नई योजनाओं की घोषणा की है, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

इस बजट में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के मानदेय को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है, जो 16 हजार से बढ़कर न्यूनतम 20 हजार रुपए होगा। इसके अतिरिक्त, लखनऊ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिटी के निर्माण की योजना भी शामिल है। इससे यह स्पष्ट होता है कि योगी सरकार अगले विधानसभा चुनावों के संदर्भ में योजनाएँ बना रही है, जिसमें विकास और रोजगार सृजन का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।