उत्तर प्रदेश में, मार्च के महीने में जहां तापमान सामान्यतः 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, वहीं वर्तमान में यह 35 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। यह बढ़ा हुआ तापमान आम की फसल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस समय आम के फलों पर बौर आ चुका है, जो पिछले कई वर्षों के मुकाबले कई गुना अधिक है। लेकिन इस असामान्य गर्मी के कारण किसान चिंतित हैं। क्योंकि ऐसे मौसम में आम की फसल पर कीड़ों का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है, जिससे न केवल आम का आकार छोटा हो सकता है, बल्कि उसकी मिठास भी कम हो सकती है।
लखनऊ और समीपवर्ती क्षेत्रों में हजारों किसान आम की खेती करते हैं। यहां का आम न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी वितरित किया जाता है। किसानों की खुशी का कारण उनकी फसल पर लदे बौर का भरपूर आना है, जबकि वे गर्मी और बेमौसम बरसात के चलते होने वाली संभावित हानि को लेकर चिंतित हैं। दैनिक भास्कर की एक टीम ने मलिहाबाद और आस-पास के क्षेत्रों का दौरा किया, जहां उन्होंने किसानों से बातचीत करके आम की गुणवत्ता और इसके रखरखाव के बारे में जानकारी प्राप्त की।
मलिहाबाद, जो लखनऊ से लगभग 34 किलोमीटर दूर है, आम बागों से भरा हुआ है। यहां की लगभग 27,000 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती होती है, जिसे ‘मैंगो बेल्ट’ भी कहा जाता है। रामरति, जो एक किसान हैं, ने बताया कि पिछले चार वर्षों में उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। उनके पास 100 से अधिक आम के पेड़ हैं, और इस बार बौर आना उम्मीद का संजीवनी है। हालाँकि, गर्मी के चलते पानी की कमी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। उनके पति राम खेलावन ने भी बारिश के कारण होने वाली संभावित क्षति की बात कही।
वहीं, माल इलाके में राम औतार ने बताया कि यहां के आम का स्वाद अद्वितीय है। यहाँ की विशेष मिट्टी के कारण आम की गुणवत्ता अन्य स्थानों से अलग है। चंद्रवीर, एक अन्य किसान, ने बताया कि उन्होंने पहले कभी इतनी बौर नहीं देखी। हालांकि, उनके अनुसार, अत्यधिक तापमान और बारिश की संभावनाएं फंगस के प्रकोप का कारण बन सकती हैं, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है।
किसान चंद्रवीर ने अपने बाग में प्रमुख आम की किस्मों की जानकारी दी और बताया कि पिछले साल उन्होंने 30 क्विंटल आम्रपाली आम की पैदावार की थी, जिसे उन्होंने आबूधाबी भेजा था। उनके अनुसार, इस बार उनका लक्ष्य और भी अधिक उत्पादन है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने आमों की पैकिंग पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ता तापमान आम के बौर को मुरझाने का कारण बन सकता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर एनबी सिंह ने इस बात की पुष्टि की कि गर्मी के कारण बौर भले ही आया है, लेकिन वास्तविक फल उत्पादन मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा।
उत्तर प्रदेश, देश में आम उत्पादन में अग्रणी है, जहां लगभग पौने 3 लाख हेक्टेयर土地 पर यह फसल उगाई जाती है। यहां से हर साल लगभग 45 लाख टन आम की पैदावार होती है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा लखनऊ के मलिहाबाद, काकोरी और माल क्षेत्रों से आता है। इस क्षेत्र के आम की गुणवत्ता इतनी बेहतरीन होती है कि इसे विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है।