**बिजनौर के गांवों में तेंदुए का आतंक: ग्रामीण भय के साए में जी रहे हैं**
बिजनौर के गांवों में हालात अत्यंत चिंताजनक हैं, जहां लोग तेंदुए के आतंक से त्रस्त हैं। चेहरे पर मुखौटे और हाथों में हथियार लेकर, ग्रामीण अपने बचाव के लिए मजबूर हैं। दिन में भी चौक-चौराहे और रास्ते पर वीरानी का माहौल है। बच्चे घरों में कैद हैं, और जानवर बाड़ों में! लोग अपने दरवाजे-खिड़कियां मजबूती से बंद कर रहे हैं। तेंदुए के खौफ से गांव को लोहे के जाल से ढक दिया गया है, लेकिन फिर भी शाम होते ही हर जगह आग लगाई जा रही है। हालात यहां तक खराब हो गए हैं कि तेंदुए ने दर्जनों गाय, भैंस और बकरियों का शिकार कर लिया। यह हालात धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील के गांवों की हैं, जहां ग्रामीण हर पल डर के साए में जी रहे हैं।
बिजनौर में पिछले तीन साल में तेंदुए का आतंक बहुत बढ़ गया है। आंकड़ों के मुताबिक, जिले के 1200 गांवों में से धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील सबसे अधिक प्रभावित हैं। इस अवधि में तेंदुआ 27 लोगों को अपनी शिकार बना चुका है, जबकि 100 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। वन विभाग केवल उन गांवों में पिजड़े लगा रहा है, जहां से तेंदुए की sightings की सूचना मिली है। लेकिन कई गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक पिजड़े नहीं लगाए गए हैं। अब तक बिजनौर में केवल 100 पिजड़े ही लगाए गए हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
वन रेंजर महेश गौतम के अनुसार, तेंदुआ अपने निवास स्थान की कमी के कारण आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ते हैं। एक तेंदुआ अपने शिकार के लिए लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में कब्जा जमाए रहता है। यदि तेंदुआ अपना परिवार लेकर रहता है, तो वह और अधिक क्षेत्र में फैलता है। तेंदुआ का हमला तब बढ़ता है जब उसे इंसान का खून लग जाता है। इसके बाद वह आबादी के क्षेत्र में आ जाता है और हमलावर बन जाता है।
चांदपुर तहसील के चौधेड़ी गांव के निवासी सुमन के मामले ने इस आतंक की भयावहता को उजागर किया। सुमन जब खेत से वापस लौट रही थीं, तभी तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया। गांव के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग ने कभी भी सही तरीके से काम नहीं किया है। केवल तीन पिजड़े लगाए गए हैं, जबकि स्थिति बहुत गंभीर है। पूर्व प्रधान नैन सिंह ने चिंता व्यक्त की है कि गांव में तेंदुए के आतंक के कारण मेहनती मजदूर भी काम करने से डर रहे हैं।
इस भयानक स्थिति का सामना करते हुए चांदपुर के पिलाना गांव के लोग भी तेंदुए के हमलों से चिंतित हैं। यहां एक किशोरी और एक महिला पहले ही तेंदुए के हमले का शिकार बन चुकी हैं। गांव के प्रदीप त्यागी ने बताया कि तेंदुए का डर इतना बढ़ गया है कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर ही खेतों में काम करने जाते हैं। इन भयावह घटनाओं के बाद भी, स्थानीय वन विभाग की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
बिजनौर के शहरी क्षेत्रों में भी तेंदुए की दहशत फैली हुई है। गांवों से लेकर कस्बों तक, लोग कहीं अकेले जाने में संकोच कर रहे हैं। लोग अपनी फसलों की भी चिंता कर रहे हैं क्योंकि तेंदुआ किसानों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। वन रेंजर ने चेतावनी दी है कि तेंदुओं की उपस्थिति समाप्त करने की कोई गारंटी नहीं है, और ग्रामीणों को अपने अनुकूल उपाय करने की जरूरत है। इस गंभीर समस्या को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों का सुरक्षित जीवन यापन सुनिश्चित हो सके।